कोई हार से मजबूर, किसे जीत पर हुआ गरूर
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
नरवाना हल्के में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचण्ड जीत के बाद सियासती पारा कुछ एक जगह थम-सा गया प्रतीत होता है। जहां अन्य पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता अपनी हार से हताश दिखाई पड़ते हैं, वहीं बीजेपी का हर समर्थक जीत से सातवें आसमान पर पहुंचा मालूम पड़ता है। लोकसभा की सभी 10 सीटें जीत लेने के बाद विधानसभा की सीट भी बीजेपी समर्थकों को तश्तरी में रखी दिख रही हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव की बात करें, तो ये चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते रहे हैं। फिर भी अभी स्थिति डांवांडोल लग रही है।
संभावित प्रत्याशी पड़े दुबके
विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की यदि बात करें, तो बीजेपी में प्रत्याशियों की बाढ़-सी आई हुई है। यहां तक कि दूसरी पार्टियों से भी नेता इस बहती गंगा में हाथ धोने के लिए भाजपा में शामिल होने के लिए लालायित हैं। लेकिन अन्य पार्टियों के भावी प्रत्याशी अभी तक दुबके पड़े हैं। हालांकि कांग्रेस से महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष व पूर्व प्रत्याशी विद्या रानी दनौदा ने कार्यकर्ताओं के साथ दो-तीन बैठकें की हैं। वहीं चुनाव से पूर्व हल्के में सक्रिय रही प्रभा माथुर भिखेवाला अभी चुप है। युवा नेता सतबीर दबलैन भी पर्यावरण दिवस के बहाने थोड़ा बाहर निकले हैं। जेजेपी के संभावित उम्मीदवार व एससी सेल के प्रदेश वरिष्ठ उप प्रधान डा. प्रीतम मेहरा ने राज्य के नेताओं से संपर्क साधना शुरू किया है। वहीं कृषि विभाग से वॉलंटरी रिटायरमेंट लेकर डा. बलराज दनौदा ने कर्मचारी प्रकोष्ठ की बैठक लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। इनैलो की जहां तक बात है उसमें एक ही चेहरा राममेहर दनौदा प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कहा जा सकता है कभी इनैलो का गढ़ माने जाने वाले इस हल्के में नहीं लगता कि बीजेपी समेत कोई भी पार्टी अभी अपनी जीत का दावा कर सकती हो। इसमें आने वाले 100 दिन ही तय करेंगे कि नरवाना वासी इस बार किस पार्टी की झोली भरने वाले हैं।